संग साथ खाना प्रगाढ़ता बढ़ाता है!
आप शायद सोचेंगे कि यह क्या बात हुयी, साथ खाने या न खाने से क्या फर्क पड़ता है। इससे इतना फर्क पड़ता है जितना जमीन और आसमान में फर्क होता है, नदी और पहाड़ में फर्क होता है।
प्रेम में प्रगाढ़ता का जन्म संग साथ खाने पीने से ही शुरू होता है। अगर ऐसा न होता तो शायद अच्छे नामी गिरामी होटल, ढाबे, क्लबों, रेस्टोरेंट आदि का जन्म न हुआ होता। अगर ऐसा न होता तो उस कहावत का भी जन्म न होता कि जिसके हाथ में लोई, उसका सब कोई।
अगर जीवन में बनाने, खाने, खिलाने का महत्व न होता तो हर मां दादी-नानी बचपन से ही बालिका के हाथ में आटे की लोई थमाते हुये यह न कहती कि सीख ले मेरी बच्ची, कल यह सब तेरे काम आयेगा। अगर खाना बनाना सीख लेगी तो ससुराल में जाकर राज करेगी। सब पर अपना अधिकार जमा सकेगी।
संग साथ खाने, लंच हो या डिनर, सुबह का स्नैक हो या शाम का नाश्ता, उसका अप्रत्याशित महत्व बढ़ जाता है। बातें करते, हंसते हंसाते, एक दूसरे को निहारते और खाने की मनुहार करते समय आदमी बिल्कुल तनावरहित हो जाता है। उस समय सामने वाले का साथ बहुत ही सुहाना प्रतीत होने लगता है और अगर ऐसे में खाना स्वादिष्ट, लजीज और जायकेदार भी हो तो फिर कहने ही क्या?
पेट के रास्ते से होकर मुंह तक आकर सारी संवेदनायें, सारा प्यार, सारा इकरार मुखारविंद से प्रकट हो ही जाता है। ऐसी परिस्थिति में सामने वाले से प्रेम निवेदन करने के अतिरिक्त किसी के भी पास और कोई एक्सक्यूज नहीं रहता। तब कोई भी दिल खोल कर खाना बनाने वाले की तारीफ करते नहीं थकता। ऐसा करते समय भी उन्हें आत्मीय खुशी होती है।
यह तो सर्वविदित है कि खाना, चाय, दूध,फल आदि शरीर को एनर्जी प्रदान करते हैं मगर अपने प्रिय/प्रियतमा के हाथ से मिली प्रातः कालीन चाय यानी सोने पर सुहागे का काम करती है। मन प्रसन्न और मुग्ध हो जाता है और मयूर की तरह नाच उठता है। हिरण की तरह कुलांचें भरने लगता है। प्रतीत होता है कि मानो दिन ही सफल या धन्य हो गया वर्ना प्रेम प्यार से कोई कभी यह राग अलापते न मिलता कि ‘‘ए जी, एक प्याला गरमा गरम चाय आपके हाथों से बनी मिलेगी।’’
जब इंसान बहुत अधिक अंतरंग हो जाता है, उसे सामने वाले पर जोश खरोश से प्यार उमड़ आता है। तब ऐसी स्थिति में वह एक ही प्याले से चाय पीने का आग्रह करता है या फिर एक ही थाली अथवा प्लेट में खाने का आग्रह।
अगर कोई गृहिणी अपने पति को खुश रखना चाहती है, उसकी अन्तरंग और प्राणप्यारी बनना चाहती है तो उसे पति की पसंद का खाना व स्नैक बनाना आना ही चाहिए और अगर नहीं आता तो सीख लेना चाहिये।
कहते हैं सारे प्रणय निवेदन के टिप्स एक तरफ और एक प्याला चाय, काफी या बीयर की पेशकश एक तरफ।
अतः प्यार कीजिए और प्यार में दिल खोल कर खिलाइये और संग साथ खाईये भी। देखिये प्यार रूपी सरिता और प्यार में सैलाब आते देर नहीं लगेगी। तब आपका प्रेम यज्ञ सम्पूर्ण हुआ ही समझो।
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