पीठ दर्द से न घबरायें


बैक पेन या पीठ दर्द एक ऐसी समस्या बन गई है जिसका सामना आमतौर पर अधिकतर व्यक्तियों को करना पड़ रहा है। कभी हम कुछ उठाने के लिए झुके नहीं कि दर्द का आभास होता है। कई बार दर्द इतना तेज होता है कि सहन नहीं होता। ऐसे समय में कई बार पेन किलर लेकर गुजारा करना पड़ता है और कई बार डॉक्टर के पास भागना पड़ता है। फिर एक्सरे, एम आर आई आदि करवाए जाते हैं ताकि दर्द के कारण को जाना जा सके और कई बार तो सर्जरी तक करवानी पड़ जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार पीठ दर्द का यह अर्थ नहीं कि कुछ भारी उठाने से आपको स्थायी नुकसान हुआ है। कई बार रोगी को बहुत दर्द महसूस होता है पर कोई विशेष समस्या नहीं होती और कई बार कोई गंभीर कारण होता है पर बहुत कम दर्द होता है, इसलिए दर्द होने पर एकदम से व्यक्ति को घबराना नहीं चाहिए।
वैसे कोई भारी सामान उठाने पर बहुत कम संभावना होती है कि डिस्क को नुकसान पहुँचा हो, हां, अगर आपको ओस्टियोपोरोसिस होने की संभावना है तो हो सकता है आपकी रीढ़ की कशेरूका में फ्रेक्चर हुआ हो। अधिकतर पीठ की मांसपेशियों और स्नायुओं में चोट पहुंचती है और जो हमारी निचली पीठ को सहारा देते हैं। यह चोट जरूरी नहीं कि भारी चीज उठाने पर ही आए बल्कि नीचे झुकने पर भी आ सकती है।
ऐसा दर्द कुछ हफ्ते आराम करने पर अपने आप ठीक हो जाता है पर इसका यह अर्थ नहीं कि आप 24 घंटे बिस्तर पर ही पड़े रहें क्योंकि इससे ठीक होने में देर होगी और आपकी मांसपेशियां क्रियाशील न रहने के कारण अकड़ जाती हैं, इसलिए ऐसा नहीं कि सब काम बंद कर दें। हल्के हल्के कार्य जैसे पैदल चलना, घर के कार्य करें पर अधिक व्यायाम, भारी चीजें उठाना आदि बिल्कुल न करें।
अगर 3-4 सप्ताह तक दर्द में आराम नहीं मिलता तो यह जानने के लिए कि दर्द का कोई गंभीर कारण तो नहीं है, आप डॉक्टर की सलाह से एक्स-रे या एम आर आई करवा सकते हैंं। इसके अतिरिक्त अगर आपको बुखार, पसीना आ रहा है या आपको हाल ही में कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन हुआ है तो आपको ’स्पाइनल इंफेक्शन‘ हो सकता है। अगर आपको ओस्टिओपोरोसिस होने की संभावना अधिक हो या हाल ही में कोई दुर्घटना हुई हो तो स्पाइनल फ्रेक्चर भी हो सकता है। यह आपका डॉक्टर आपको रिपोर्ट देखने के पश्चात् बता सकता है। यह सब तो गंभीर कारण हुए पीठ दर्द के।
पीठ दर्द में अधिकतर ’मसाज थेरेपी‘, ’फिजिकल थेरेपी‘ व ’एक्यूप्रेशर‘ की सहायता ली जाती है। फिजिकल थेरेपी में फिजिकल थेरेपिस्ट मसाज व व्यायाम, सही पोस्चर आदि के बारे में सलाह देते हैं और एक्यूप्रेशर में शरीर के विभिन्न बिन्दुओं पर प्रेशर दिया जाता है जिससे एनर्जी का बहाव पीठ में होता है। इसके अतिरिक्त बैक बेल्ट, मेग्नेट व अन्य उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।
शोधों से यह भी सामने आया है कि स्टेªचिंग व स्टेªंथनिंग एक्सरसाइज द्वारा भी पीठ दर्द में आराम मिलता है। पैदल चलना, तैराकी व साइकिलिंग आदि एक्सरसाइज अधिक लाभ पहुंचाते हैं। फिजियोथेरेपिस्ट आपके लिए एक्सरसाइज प्रोग्राम निर्धारित करते हैं पर एक्सरसाइज का नतीजा आने में कुछ समय लगता है इसलिए इसमें धैर्य की जरूरत होती है।
पीठ दर्द की संभावना को कम करने के लिए आप अपनी नियमित दिनचर्या में कुछ बातों पर ध्यान दें।
धूम्रपान न करें:- धूम्रपान आपकी हडिडयों को कमजोर बनाता है, डिस्क को नुकसान पहुंचाता है और रीढ़ के स्नायुओं को कमजोर बनाता है, इसलिए धूम्रपान का त्याग करें अपनी पीठ के स्वास्थ्य के लिए।
वजन पर नियंत्राण रखें:- वजन बढ़ना कई गंभीर रोगों का कारण है और जब आपका वजन अधिक होता है तो इसका भार आपकी रीढ़ को सहना पड़ता है। इससे भी पीठ दर्द जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए अगर आपका वजन अधिक है तो उसे नियंत्राण में लाएं।
सही मैटेªस का चुनाव करें व सही मुद्रा में नींद लें:- आपका बिस्तर बहुत सख्त भी नहीं होना चाहिए और न ही बहुत नरम। इसके अतिरिक्त जब एक तरफ सोएं तो अपने घुटनों के बीच एक तकिया रखें। अपने सिर के नीचे छोटा सा तकिया रखें और अपने घुटनों के नीचे एक बड़ा तकिया रखें। सदैव सीधा सोने का प्रयास करें। पेट के बल कदापि न लेटंे। आपके पलंग की सतह भी बिल्कुल सपाट होनी चाहिए।

  • जब आप अपने हाथों में एक से अधिक सामान उठाए हुए हैं तो दोनों हाथों में समान वजन लें।
  • जब आपने अधिक ऊंचाई से कोई वस्तु उठानी हो तो सदैव सीढ़ी या टेबल का सहारा लें।
  • अगर आपने कोई भारी सामान आगे ले जाना है तो उसे पीछे से धकेलें। कभी भी उसे आगे की ओर से खींच कर उठाने का या खिसकाने का प्रयास न करें।
  • कभी भी कुछ उठाने के लिए एकदम न झुकें। पहले घुटनों के बल बैठ जाएं, फिर कुछ उठाएं। 
  • इसके अतिरिक्त सही तरह से खड़ा होना, बैठना, काम करना आदि बहुत आवश्यक है। आपकी मुद्रा ऐसी होनी चाहिए जिससे आपके मेरूदण्ड पर कम से कम भार पड़े। चलते समय कभी झुक कर न चलें क्योंकि चलते समय यह महत्वपूर्ण है कि आपके शरीर के किन हिस्सों पर अधिक प्रभाव पड़ता है।

काफी देर तक बैठे न रहें। अगर आपका काम ऐसा है कि आपको अधिकतर बैठना पड़ता है तो आप काम के दौरान बीच-बीच में थोड़ी चहलकदमी करें। कोई भी कार्य ऐसे न करें कि आपके शरीर को झटका लगे। इससे आपकी मांसपेशियों, डिस्क व स्नायुओं को क्षति पहुंचती है।

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