उम्र के विभिन्न पड़ाव में योगासन


मनुष्य पर हर उम्र में उसकी आवश्यकता के अनुरूप विभिन्न योगासनों का लाभकारी प्रभाव पड़ता है जो स्वास्थ्य एवं शरीर दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध होता है। योगासन न सिर्फ शरीर को लचीला बनाता है अपितु यह संक्षिप्त व्यायाम होने के कारण शारीरिक लाभ भी दिलाता है। जो स्वस्थ एवं सुखी जीवन वाला भविष्य बनाता है।
15 से 25 वर्ष
इस आयु में ताड़ासन लंबाई, एकाग्रता एवं ऊर्जा बढ़ाने में कारगर सिद्ध होता है। थकान भी मिटाता है।
25 से 35 वर्ष
इस आयु में मार्जारी आसन स्त्रिायों को सब प्रकार से लाभ दिलाता है। वहीं सबको कमर, रीढ़ आदि के दर्द से राहत दिलाता है।
35 से  45 वर्ष
उम्र के इस पड़ाव में व्याघ्रासन सर्वलाभदाता है कुल्हा एवं जांघों की चर्बी को घटाता है। शरीर सुडौल बनाता है। कमर एवं रीढ़ को मजबूत बनाता  है। सायटिका ठीक करता है  एवं पेट की चर्बी को कम करता है।
45 से ऊपर
45 से ऊपर की आयु होने पर तितली आसन जोड़ों के दर्द को दूर करता है एवं यूरिनरी सिस्टम ठीक करता है। इसके साथ मार्जारी और भ्रामरी करने पर अधिकाधिक लाभ मिलता है।
आयु अनुसार उपरोक्त आसनों के साथ आंवला, नींबू, मूंगफली, दूध एवं कोई भी एक मौसमी फल का सेवन नित्य करें। 

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