नए वायरस एवं विषाणुओं का खतरा बढ़ा


मानव जगत पर नए विषाणुओं एवं वायरस का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। जिस प्रकार दक्षिण अफ्रीका के बंदरों से एड्स का प्रसार मानवों पर हुआ, उसी भांति बंदर व अन्य पशुओं से नए वायरस विषाणुओं का खतरा बढ़ता जा रहा है।
यह खतरा पशुओं के संक्रमित मांस के खाने से मनुष्यों पर बढ़ रहा है। यह सर्वविदित है कि एड्स जैसी जान लेवा बीमारी ने दक्षिणी अफ्रीकी बंदरों से मनुष्यों पर प्रवेश किया। उसी भांति 1997 में चीन में बर्ड फ्लू की बीमारी का प्रकोप मनुष्य पर हुआ जो आज पूरे विश्व में एड्स की भांति खतरा बनकर मंडरा रहा है। 1985 में कांगो (अफ्रीका) में पशुओं के माध्यम से मनुष्य तक एवला की बीमारी फैल गई।
एड्स अनियंत्रित है। टीका विहीन है। इसी तरह बर्ड फ्लू की स्थिति भी है। एबोला भी तेजी से फन उठा रहा है। वायरस पर काबू पा लेने का दावा थोथा सिद्ध हुआ यह अब खतरनाक रूपसे सामने आ रहा है। बंदरों के माघ्यम से बवासीर फैलाने वाले तीन नए वायरस का खतरा मांसाहारियों  पर मंडरा रहा है। आस्ट्रेलिया में कभी रास रिवर वायरस ने तबाही मचा रखी थी। यह वायरस कंगारू से मच्छरों के माध्यम मनुष्य तक आया था।
एवोला विषाणु (वायरस) अब तक का सबसे घातक नया रोग सिद्ध हो रहा है।
इस कष्टदायक बीमारी की चपेट में अफ्रीका एवं युगांडा पहले ही आ चुके हैं।

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