आखिर रहस्य क्या है मोबाइल फोन से मारण प्रयोग का ?
दुनिया एक मेला है, कुदरत की कारीगरी, मेले में सर्कस है, मदारी के इशारे पर नाचता बंदर है, झूला है, मिट्टी के बर्तन हैं, सड़क किनारे बैठे ज्योतिषाचार्य हैं तो कहीं शंकर/काली का रूप धरे मांगते-खाते कलाकार हैं। किसी का बच्चा खो गया, वो परेशान, कोई खुद बीमार, वो परेशान, नौकरी चली गई तो परेशान, बाढ़ आ गई - बांध टूट गया तो परेशान; लड़की की शादी नहीं हो रही तो परेशान, लड़का दूर देश चला गया तो परेशान, गरीबी है तो परेशान, सेठ हैं तो परेशान, नौकरी तो है लेकिन गोल्ड क्लब के मैंबर नहीं तो परेशान।
कुल मिलाकर दुनियां मेला है तमाम पेशेवर परेशानबाजों का। किसी भी ज्योतिषी के पास चले जायें, पहला वाक्य निकलेगा उनके श्री मुख से ’आजकल बड़े परेशान हैं आप धन रूकता नहीं, घर में अशांति है। शरीर रोगों का घर बन गया है, लेकिन चिंता न करें। श्री गुरु की कृपा से सब ठीक हो जायेगा।‘
महाराज के श्री मुख से निकले वाक्यों से, लगा कुछ शांति मिली। बड़े पहुंचे हुए महाराज हैं। बस यहीं काम हो जायेगा। अरे, महाराज तो ’लक्ष्मी‘ के लिए काम कर रहे हैं। रोज हजारों को अपना चेहरा प्रत्यक्ष दिखा रहे हैं, करोड़ों को टी. वी. स्क्रीन पर उपदेश दे रहे हैं। साबुन बनाने से लेकर धूपबती/अगरबत्ती/तुलसी की माला/रूद्राक्ष की माला का निर्माण करा रहे हैं। अपने श्रीमुख की आडियो/वीडियो सी डी एस कैसेट घर घर अपनी ही कार/जीप/ट्रक से बंटवा रहे हैं। आयकर में छूट लेने को उत्सुक भगत से मात्रा 20 प्रतिशत नगद लेकर पूरे की रसीद बांट रहे हैं। ’कर भला हो भला‘ सूक्त पर शूक्ति पूरी निष्ठा से चल रहे हैं।
कभी मौका मिल जाये तो अपनी श्रद्धैया मातेश्वरी/प्राणप्रिया पत्नी/स्नेही पुत्रा से लेकर अपने सहोदर एवम पूज्य पिता तक को भगवान का अवतार बता देने वाले महासाधकों से भरा पड़ा है यह भारत महान। इस मेले में न जाने कितने बाबा/मुल्ला/मौलवी/सूफी/भगत जी अपने पेड ग्राहकों/भगतों हेतु मारण/मोहम/वशीकरण/उच्चारण का धंधा भी कर रहे हैं। तमाम अखबारों विज्ञापनों से भरे रहते हैं।
दुनियां के इस मेले में चौधरी भीम सिंह भी एक पात्रा हैं। सीधा-सरल जीवन, सेना से अवकाश प्राप्त, एक सरकारी विभाग में गार्ड की नौकरी पर नियुक्त। धर्म भीरू-किसी गुरू के शिष्य। जीवन की गाड़ी मजे से चल रही है। अपनी ग्रेजुएट कन्या के लिए नौकरी की तलाश में भटक रहे थे। कामना की बिटिया पुलिस/आरपीएफ/सीआरपीएफ या ऐसे ही किसी विभाग में चयनित हो जाए। गांव-देहात की ही एक अन्य कन्या दिल्ली पुलिस में काम करती थी। उसने इनकी बिटिया गुड्डी को सब्ज बाग दिखाये, नौकरी लगवाने की गारंटी दी, एक लाख रूपयों में मामला जमाया।
अगली बार पुलिस वाली सोनू चौधरी की बिटिया को दिल्ली अपने साथ ले जाने पर अड़ गई। बात यो है अंकल जी, दिल्ली मेरे कमरे पर रहेगी, वहां के फार्म भरती रहेगी, तमाम अफसरों से मिलवा दूंगी। जानकारी बढ़ेगी, नौकरी जल्दी लग जायेगी। सीधे स्वभाव चौधरी ने कई बार मना किया, आखिरकार भेजना ही पड़ा।
आठ दिन में ही गुड़िया घर वापस आ गई। स्पष्ट कुछ नहीं बताया लेकिन सोनू के साथ जाने को मना कर दिया। दिल्ली में रहकर दो कंपीटीशन भी दिए थे, लेकिन रह गई थी। इधर जब से गुड़िया घर आई, उस पुलिसवाली सोनू के दनादन फोन आने प्रारंभ हो। पता नहीं क्या हुआ, गुड़िया बीमार रहने लगी।
जब मोबाइल की घंटी बजे, उधर से सोनू का फोन आए, यह लड़की बेहाल। तकिए के पास रखे मोबाइल से डर लगने लगा, खाट पकड़ ली। मात्रा तीन दिन में ही हालत खराब, अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। प्राइवेट क्लीनिक में गुड़िया को पुरानी टी.बी. बता दी गई। अरे, जो लड़की मात्रा एक सप्ताह पहले आर पी एफ चयन परीक्षा में भाग/दौड़/ कूद जैसी परीक्षायें सफलतापूर्वक पास करके आई, उसे टी बी कैसे?
चौधरी भीम सिंह बेहाल/तीन क्लीनिक बदल डाले, कुछ लाभ नहीं। आखिर लगभग 20 दिन के बाद पता नहीं क्यों, बिटिया को घर ले आए।
बिटिया से मोबाइल ओ. के. करने को कई दिन पहले से ही मना कर दिया था उस लड़की सोनू की काल पर। उस दिन शाम से दनादन सोनू की काल आनी प्रारंभ। लगभग 20 काल के बाद मिसकॉल के बाद, चौधरी अपने कमरे में पूजा पर बैठे। गुरू का ध्यान किया, लगा बेटी की जान को खतरा हैं। ध्यान के बाद लपक कर उठे, अपने हुक्के का पानी अपने हाथ में निकाला, गुरू का ध्यान करके, कुछ छींटे बिटिया पर मारे।
यकायक कमाल हो गया, बिटिया आदमी की आवाज में चीखने लगी-अरे जा चौधरी, आज तो इस गुड़िया को और तुझे ले जाना था। अरे, चालाक निकला, आज मोबाइल फिर ’आन‘ नहीं किया। आज ही काम हो जाता। पंछित राजपाल ने भेजा है मुझे, कई दिन से लगात हूं इस लड़की के पीछे। उसके पीछे अस्पताल तक में रहा। दवाइयां नहीं लगी। अरे चौधरी, तुझे और इस लड़की को ले जाने के लिए चालीस हजार रू. उस पंडित को दिए हैं सोनू ने। सोनू अब इसके बिना रह नहीं सकती। या तो इस छोरी को सोनू के पास भेज दे, बहुत चाहती है सोनू इसे। अगर नहीं भेजेगा तो मैं इसे दूर ले जाऊंगा। बस एक बार मोबाइल इसके कान पर लगा दे। काम खत्म हो जायेगा।
चौधरी परेशान। गुरू को याद किया, गायत्राी मंत्रा पढ़ा, कुछ और पढ़ा, हुक्के का पानी हाथ में लेकर, छींटा मार दिया पुत्राी पर। जोर से चीखी पुत्राी- मारो मत, जलाओ मत, जा रहा हूं। उस दुष्टा सोनू से बचा अपनी बिटिया को। उस सोनू के साथ से बचा। उस नालायक ने तो पैसे के लिए अपने पिता को भी मरवाया था इसी पंडित से दस हजार दिए थे। अरे चौधरी, मुझे छोड़ दे, जा रहा हूं। थोड़ा सा पानी इस मोबाइल पर भी छिड़क दे। वो पंडित मोबाइल से ही काम करता है।
चौधरी परिवार डरा हुआ है। मोबाइल फोन का सिम निकालकर कुछ दिन को फोन उठा कर रख दिया गया है। बिटिया अब बिलकुल ठीक है जैसे कभी बीमार थी ही नहीं। लगभग 2 माह का वह समय अतीत का काला सपना बन चुका है।
अब आप ही बतायें, क्या मोबाइल फोन से मारण प्रयोग संभव है ?
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