हस्ताक्षर मन का आईना
हस्ताक्षर की आड़ी-तिरछी रेखाओं में व्यक्तित्व झलकता है। हस्ताक्षर व्यक्तित्व के सबसे नजदीक होता है, इसलिए इसमें मन की अनकही बातें और अनछुआ पहलू उजागर होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि हस्ताक्षर लिखावट से अधिक प्रभावशाली और मन के गुप्त रहस्यों को प्रकट करने वाले होते हैं। हस्ताक्षर मन का आईना कैसे होता है, इसे निम्नानुसार जाना जा सकता है।
हस्ताक्षर का पहला अक्षर अगर बड़ा होता है तो वह व्यक्ति विलक्षण प्रतिभाशाली, प्रतिभावान एवं सहृदय होते हैं। जिस हस्ताक्षर का पहला अक्षर बड़ा होता है और शेष अक्षर छोटे, सुंदर व पठनीय होते हैं तो ऐसे व्यक्ति मेहनती और लगनशीन होते हैं। वे अपने श्रम से उच्च पद की प्राप्ति करते हैं। इनका श्रम इन्हें जीवन में फल प्रदान करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति धनवान, विद्वान तथा कुल का नाम रोशन करते हैं।
अस्पष्ट एवं अपठनीय हस्ताक्षर अच्छे नहीं माने जाते। ऐसे व्यक्ति स्वभाव से आलसी, अनमने ढंग से काम करने वाले तथा अव्यवस्थित जीवन वाले होते हैं। इनका जीवन अप्रामाणिकता के दंश से व्याप्त होता है तथा वे पारिवारिक जीवन में असफल और असंतुष्ट होते हैं। इनका वैवाहिक जीवन शंकाओं के काले बादलों से घिरा हुआ होता है। कूटनीतिज्ञों के हस्ताक्षर भी इसी कोटि में आते हैं।
जिस व्यक्ति के हस्ताक्षर बहुत ही छोटे अक्षरों में होते हैं तथा अक्षरों के बीच खाली स्थान होते हैं तथा पढ़ने में अस्पष्ट होते हैं, वह व्यक्ति अत्यंत चालाक होता है। ऐसे व्यक्ति स्वार्थपूर्ति के लिए किसी भी सीमा का अतिक्रमण कर सकते हैं। वे अपनी इन वृत्तियों के कारण अपराध के महापंक में धंसते नजर आते हैं। ऐसे व्यक्तियों को राजनीति का अखाड़ा खूब पसंद आता है क्योंकि इस क्षेत्रा में ऐसी ही वृत्तियों की आवश्यकता होती है, जहां पर केवल और केवल स्वार्थ का ही बोलबाला होता है और स्वार्थ के सिवाय कुछ भी नहीं होता । आतंकवादियों के हस्ताक्षर भी इसी श्रेणी में आते हैं।
जो व्यक्ति हस्ताक्षर को हल्के हाथों से तथा सरल ढंग से करते हैं, वे उदार एवं सज्जन होते हैं। उनकी सरल रेखाओं में उनके हृदय की सरलता एवं निश्छलता छिपी होती है। वे अपनी इच्छाओं का दमन नहींे करते तथा गलत इच्छा भी नहीं रखते। जो व्यक्ति कलात्मक हस्ताक्षर करता है, वह चित्राकार या कलाकार होता है। ऐसे व्यक्ति संगीतकार तथा साहित्यकार भी होते हैं।
हस्ताक्षर के नीचे दो आड़ी लकीरें खींचना व्यक्ति की लगनशीलता को दर्शाता है। वे मानसिक रूप से दुर्बल भी होते हैं तथा अपने भविष्य के प्रति चिंतित होते हैं। इनमें निराशा व उदासीनता इतनी प्रबल होती है कि वे कभी-कभी आत्महत्या तक पर उतारू हो जाते हैं।
हस्ताक्षर का प्रथम अक्षर सांकेतिक परंतु उपनाम पूरा लिखने वाले व्यक्ति अत्यंत भाग्यशाली होते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने पिछले जन्म के पुण्य का भरपूर भोग करते हैं। इनमें धार्मिकता होती है, साथ ही वे मृदुभाषी भी होते हैं। ऐसे व्यक्ति किसी के भी बहकावे में जल्दी आ जाते हैं।
जो व्यक्ति हस्ताक्षर में अपना पूरा नाम लिखते हैं तथा उसके नीचे एक लाइन खींच देते हैं, वे आध्यात्मिक व्यक्ति होते हैं। इनमें जीवन ऊर्जा का अगाध भंडार होता है तथा वे इसका भरपूर सदुपयोग करना भी जानते हैं। ऐसे व्यक्ति स्वार्थ, अहंकार से दूर रहते हैं। इनकी वैचारिक भावना सदा स्वच्छ रहती है।
हस्ताक्षर मन के सबसे करीब और भावों के पास से गुजरता है। अतः इसमें वैचारिक स्पंदन के साथ भावों की छटा भी समाहित होती है। अदृश्य भाव-विचार हस्ताक्षर के रूप में मूर्त होते है। हस्ताक्षर के माध्यम से पुरूष एवं स्त्रिायों के मनोगत भावों को 60 से 80 प्रतिशत तक परखा जा सकता है।
विशेषज्ञ कुछ तकनीकों के माध्यम से हस्ताक्षर की लिखावट को परखकर उस व्यक्ति के चरित्रा, भविष्य आदि को बता देते हैं, अतएव हस्ताक्षर ऐसे होने चाहिए जिससे हमारा व्यक्तित्व निखर सके।
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